हड़प्पा सभ्यता के कितने शहर कोUNESCO में शामिल किया गया है। 


हड़प्पा सभ्यता के एक और शहर 

धोलावीरा

को 

UNESCO

 
में शामिल किया गया 

 

यूनेस्को की ओर से भारत के एक और धरोहर को सम्मान दिया गया है। 

UNESCO

 ने मंगलवार को गुजरात स्थित हड़प्पा सभ्यता के एक नगर धौलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित क्र दिया है ,धौलावीरा में हड्डपा सभ्यता के अवशेष पाए है जो दुनिया भर में अपनी अनूठी विरातसत के तौर पर मशहूर है ,धौलावीरा गुजरात के कच्छ के रन के खदिर में स्थित है। यह एक ऐताहिसक स्थल है जो लगभग पांच हजार वर्ष पहले विश्व का सबसे बड़ा महानगर हुआ करता था। हड़प्पा सभ्यता के एक नविन कड़ी के रूप में    

UNESCO

 में जुड़ने वाला पुरास्थल धौलावीरा गुजरात के कच्छ के रन के मध्य स्थित द्वीप के खदिर में स्थित है। 
 
भारत के विश्व धरोहर स्थल की संख्या अब 40 हो गयी है 
 
इसके शामिल होने से पहले तेलंगाना के एक मंदिर रुद्रेश्वर को विश्व धरोहर की सूचि में शामिल किया गया था। जिसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी  जाना जाता है रामप्पा मंदिर को (22 जुलाई 2021 ) को यूनेस्को की सूचि में शामिल किया गया है जबकि सिंधु घाटी क्ले एक विशाल नगर धौलावीरा को  27 जुलाई को शामिल किया गया। अब भारत में विश्व धरोहर की संख्या बढ़कर 40 हो गयी है। 
सिर्फ गुजरात में अब विश्व धरोहर की संख्या 4 हो गयी है। 
 धौलावीरा के आलावा पावगढ़ में स्थित चम्पानेर,पाटन ,अहमदाबाद में रानी के बाव  और धौलावीरा ये सभी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है। 

ढोलावीरा क्यों प्रसिद्ध है? 


                 

धोलावीरा

 एक लोकप्रिय प्राचीन स्थल है ,जो गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालिका में मसार  और मानहार नदियों के संगम पर स्थित है, यहाँ जल संग्रहण के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं। धोलावीरा को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खोजा था। पदमश्री पुरस्कार विजेता RS बिष्ट के देख रेख में इसकी खोज हुई थी। स्थानीय लोग इसे 'कोटा डा टिम्बा ' कहते हैं। 

यूनेस्को के मुताबिक किसी ऐसी विरासत को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया जाता है ,जो संस्कृतक और प्राकृतिक  महत्त्व की हो। इसके आलावा कोई भी धरोहर जो किसी देश की संस्कृति की झलक देने वाली या फिर भविष्य मर भी मानव समाज को प्रेरित करने वाले जगहों को यह दर्जा दिया जाता है।