BIOGRAPHY OF SIKENDER MAHAN IN HINDI
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सिकंदर
आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसने मात्र दस साल के उम्र में ही पुरे विश्व को जितने का सपना देखना शुरू कर दिया था और जीत भी लिया था। जी हाँ आज हम बात करने जा रहे हैं मेसोडोनिया के राजकुमार सिकंदर के बारे में। सिकंदर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में में प्राचीन नेपोलियन की राजधानी पेला में हुआ था। उसे इतिहस में विश्व विजेता के नाम से जाना जाता है। उसके बारे में कहा जाता है की वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर विजय हासिल कर लिया था।
सिकंदर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसापूर्व नेपोलियन की राजधानी पेला में हुआ था। उसके पिता का नाम फिलिप द्वितीय था जो की मेक्डोनिया और ओलिम्पिया के राजा थे। सिकंदर के माता का नाम ओलिम्पया था। उनके माता के बारे में है की वे एक जादूगरनी थी। सिकंदर का पूरा नाम अलेक्सेंडर तृतीय एवं अलेक्जेंडर मेसोडीनियन था। वहीं सिकंदर का विवाह रुकसाना के साथ हुआ था।
विश्व में एक ऐसा भी योद्धा हुआ जिसने मात्र 10 साल की उम्र में छोटे से राज्य का विस्तार किया। और अपना विशाल साम्राज्य स्थापित किया और मात्र 20 साल की उम्र में राजा बना। इस साम्राज्य में यूनान और भारत के मध्य भाग का सारा भू-भाग शामिल था। पुरे विश्व को जितने के कारन ही इसे सिकंदर महान भी कहा जाता है। सिकंदर पुरे विश्व को नहीं जीत पाया परन्तु उस समय पृथ्वी पर जितने देश की जानकारी थी लगभग उसने सबको जित लिया था।
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भारत और सिकंदर
सिकंदर का भारत आगमन 326 ईसापूर्व में हुआ। उस समय भारत के शासन का बागडोर घनांनद के हाथो में था। और चाणक्य तक्षशिला में अध्यापक थे। जिस समय सिकंदर ने आक्रमण किया तभी तक्षशिला के राजा आम्भी से उसके वीरता को देखते हुए , उसकी अधीनता स्वीकार कर लिया। उसी समय चाणक्य भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए लगभग सभी राजाओं से आग्रह किया की वे सिकंदर से युद्ध करें परन्तु सिकंदर से युद्ध करने कोई भी नहीं आया। इसी तरह पश्चिमोत्तर के कई राजाओं ने तक्षशिला को देखते हुए उसकी अधीनता स्वीकार कर ली।
सिकंदर इसके बाद पुरु राज्य के तरफ बढ़ा जो चिनाब और झेलम नदी के बीच बसा था। वहां के शासक पोरस था जिसने अपनी पूरी वीरता सिकंदर से युद्ध लड़ा परन्तु उसने युद्ध हार गया जिसके बाद सिकंदर उसकी वीरता को देखते हुए उसकी राज्य फिर से वापस कर दिया,और उसके साथ मित्रता के साथ संधि कर लिया। सिकंदर को भारत से वापस भागने में सबसे बड़ी भूमिका चन्द्रगुप्त के पप्रधानमंत्री चाणक्य ने निभायी थी।
सिकंदर की मृत्यु
सिकंदर, भारत में पुरु राजा पोरस युद्ध करने के बाद ईरान के तरफ लौट रहा था तभी,अचानक उसे कोई गंभीर बीमारी होने के कारण उसकी 323 ईसापूर्व में 33 वर्ष की अवस्था में बेबीलोन नामक जगह पर उसकी मृत्यु हो गयी।
सिकंदर और तथ्य
ऐसा कहा जाता है की सिकंदर के मृत्यु के बाद उसके जनाजा को ले जाया जा रहा था ,तब उसके दोनों हाथ बहार लटके हुए थे। क्योंकि उसने पहले कहा था की जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे हाथ अर्थी के अंदर मत रखना ,सिकंदर चाहता था की मेरे हाथ अर्थी के बाहर रहे।
हाथ को बहार रखने से सिकंदर का तात्पर्य था की वह पूरी दुनिया को शायद यह दिखाना चाहता था की जिसने पूरी दुनिया जीत कर अपने हाथ को भर लिया है फिर भी उसके मरने के बाद उसका हाथ खाली है। अतः जैसे इंसान खली हाथ जन्म लेता है वैसे ही खली हाथ मरता है।
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