रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ? Why are celebrate Raksha Bandhan festival .

रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ?

वैसे तो रक्षा बंधन भाई-बहन का एक पवित्र तेवहार त्योवहार है परन्तु इसकी कुछ पौराणिक महत्त्व है। ऐसा कहा जाता है की महाभारत में शिशुपाल के साथ युद्ध में श्री कृष्ण जी की तर्जनी अंगुली कट गयी थी। यह देखते ही द्रोपति कृष्ण जी के करीब आई और अपने साडी के एक टुकड़ा फाड़कर उनकी कटी हुई ऊँगली पर पट्टी बांध दी ,इसी दिन श्रावण पूर्णिमा थी। इसके बदले कृष्ण जी ने द्रोपति के चीरहरण के वक्त उसकी किए थे। तभी से श्रावण मास के पूर्णिमा को सभी बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधने लगी और भाई उसके बदले उसकी रक्षा करने का प्रण लिए। 



Raksha bandhan kyo manate hain
रक्षा बंधन भाई बहन का एक पवित्र त्योवहार है जिसे भाई बहन प्रत्येक साल सावन महीने के पूर्णिमा को बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मानते है। इस त्योवहार का वर्णन बहुत से ऐतहासिक किताबो में किया गया है एवं उसमे इसकी महत्त्व को दर्शाया गया है। 



रक्षा बंधन दो शब्दों के मेल से बनता है रक्षा और बंधन। जिसका अर्थ होता है "एक ऐसा बन्धन जो रक्षा करता हो" रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रतिक माना जाता है। यह एक ऐसा बंधन है, जो हर भाई को याद दिलाता है की उसे अपनी बहन रक्षा है। 

रक्षा बंधन का त्यौवहार हर भाई को अपनी बहन के कर्तव्य को याद दिलाता है। यह एक ऐसा त्योवहार है जिसे सिर्फ सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी महिला पुरुष मना सकते हैं। इस दिन सभी बहन अपनी भाई के कलाई पर राखी है और उसे सुखी और स्वास्थ्य रहने की मन्नत मांगती है। वही भाई अपनी बहन को राखी के बदले गिफ्ट देते हैं और उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।  

रक्षा बंधन का त्योवहार सभी भारतीय घरो वे घर आमिर हो या गरीब सभी बहुत हर्षो उल्लास के साथ हैं। जैसे सभी त्योवहारों का अपना एक ऐतहासिक महत्त्व होता है वैसे ही रक्षा बंधन का भी के अपना ऐतहासिक महत्त्व है। जो की निचे वर्णित है 👇 

तुलसी और नीम के पेड़ को बाँधी जाती है।  

कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहले नीम तथा तुलसी के पेड़ को राखी बंधी जाती थी। क्योकि वे वे प्राकृत की सुरक्षा करते हैं। पेड़  राखी बांधने की पाम्परा को वृक्ष रक्षा बंधन कहते हैं। हालांकि की आजकल इसका प्रचलन ख़त्म हो गया। वर्तमान  सिर्फ बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसे जीवन भर उसकी सुरक्षा करने का वचन देते हैं। 

कैसे भगवान इंद्र को रक्षा बंधन से मिली थी जीत ?   

भविष्यपुराण के एक मत के अनुसार एक बार देवता दानवो के बिच युद्ध  छिड़ गया , एक बलि नाम  ने भगवान इंद्र को हरा  दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया। तभी इंद्र की पत्नी सचि ने मदद लिए भगवान विष्णु के पास पहुंची तो विष्णु जी ने सूती धागे के   पहनने वाला वलय बना कर दिया। और सचि से कहा की इसे इंद्र की कलाई में बांध देना फिर सचि ने ऐसा ही किया इंद्र ने बलि को हराकर अमरावती अपना अधिकार कर लिया।

तभी से एक मत  है की पत्नी अपनी पति की सुरक्षा के लिए  पति की कलाई पर राखी बांध सकती है। परन्तु वर्तमान समय में लोग सिर्फ भाई-बहन ही इस पर्व को बहुत धूम-धाम से मानते हैं। 

प्राचीनकाल का एक मत ये भी है.... 

प्राचीन कल के एक मत के अनुसार जब सिकंदर भारत की जितने के मकसद से भारत में आया था तब उसने झेलम नदी के किनारे ,पंजाब के राजा पोरस युद्ध किया था जिसमे राजा पोरस ने वीरता पूर्वक लड़ते हुए यह युद्ध हार गए थे परन्तु सिकंदर ने उसकी वीरता और साहस को देखते उसे उसकी राज वापस लौटा दिया और उससे मित्रता कर ली। 

फिर सिकंदर की पत्नी रेक्सोना ने पोरस के कलाई पर राखी बंधी थी। तभी से एक मत ये भी कहता की रक्षाबंधन के दिन बहन अपनी भाई की रक्षा के लिए रक्षा-बंधन का त्योवहार मनाते हैं।

इस तरह के ना जाने और कितनी मान्यताएँ हैं जिसके चलते हम रक्षा बंधन का त्योवहार बड़े ही धूम-धाम से मानते हैं।

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