दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है ? हम दुर्गा पूजा क्यों मनाते हैं ?

EASSY ON DURGA POOJA IN HINDI



EASSY ON DURGA POOJA
EASSY ON DURGA POOJA





आज हम इस निबंध के माध्यम से जानेंगे की दुर्गा पूजा की शुरुआत कब हुई और इसे हम प्रति वर्ष क्यों मनाते हैं। दोस्तों दुर्गा पूजा हम वर्ष में दो बार बहुत ही धूम-धाम हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्द अश्विन माह में होने वाला माँ दुर्गा का पूजा है। इसकी बहुत सारी पौराणिक कहानी है। जिसमे सबसे सटीक है बुराई पर अच्छाई की जीत। 

दुर्गा पूजा हिन्दुओ के सभी त्योहारो में मुख्य है।इसे लोग बहुत ही गरिमा और श्रद्धा से मनाते हैं। यह हरेक सके बड़े ही तैयारियों के साथ मनाई जाने वाली पर्व है।माता दुर्गा को हिमालय और मैनका की पुत्री और सती का अवतार थी , जिनकी बाद में शिव के साथ विवाह हुआ। 



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दुर्गा पूजा का आरंभ

दुर्गा पूजा हुन्दुओ का सबसे महत्वपूर्ण त्याहवरो में से एक है। ये दस दिन तक चलने वाली सबसे लंबी पूजा है। मां दुर्गा की आराधना का कई सारे कथाए हैं। जिसमे सबसे प्रसिद्ध है। कि माता दुर्गा ने इसी दिन एक महिषासुर नामक राक्षस का अंत की थी तभी से लोग उनकी आराधना आरम्भ कर दिए। 

मैं आपको बता दूं कि महिसासुर एक ऐसा राक्षस था जो किसी भी देवता से हारता था तभी उसे मारने के लिए पृथ्वी पर देवी दुर्गा का आगमन हुआ था और महिसासुर से उनकी लड़ाई पूरे 9 दिनों तक चली थी एवम अंततः उन्होंने विजय प्राप्त की।तभी से लोग उनकी आराधना पूरे दस दिनों तक करते हैं ।

एक कथा के अनुसार जब श्री राम ने रावण का वध किया था तो उसे बुराई पर अच्छाई की जीत बताई गई और इसी दिन से अश्विन माह में विजय दशमी मनाई जाने लगी और उसमे रावण के पुतले की जलाने की परंपरा शुरू हो गयी।

दुर्गा पूजा 

दुर्गा पूजा को हिन्दू समाज मे बहुत ही श्रद्धा से मनाई जाती है। उस त्योहार को पुर 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस पूजा के प्रत्येक दिनों के अलग अलग नियम है। दुर्गा पूजा की शुरआत होने के अगले दस दिन तक सुबह शाम इनका पाठ किया जाता है।माता दुर्गा के भक्त इस पूरे नौ दिनों तक बिना नामक के अन्य ग्रहण करते हैं। 

इस त्योहार में देवी दुर्गा की बड़े ही भव्य प्रतिमा बनाई जाती है। इसमे उनके दस हाथ होते हैं।और सभी हाथो में विभिन्न तरह के हथियार दर्शाए जाते हैं।और एक तरफ राक्षस महिसासुर की भी मूर्ति बनाई जाती है जिसमे उसे देवी दुर्गा की एक हाथो से त्रिशूल उसके छाती में मारते हुए दर्शायी जाती है। इससे ये प्रतीत होता है कि दुर्गा जी इसी तरह नवमी के दिन उसका अंत की थी।

दुर्गा पुजा भारत के सभी राज्यो में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। इसमें लोग बहुत ही भव्य पंडाल की निर्माण करबाते हैं। और उसे अच्छी से अच्छे तरीके के फूलों गुलदस्तों से सजवाते है। कई राज्यो में जिसकी सब बेस्ट पंडाल होती है उसे इनाम भी दिया जाता है।

इस त्योवहार में बहुत बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।और जहां ये उत्सव मनाया जाता है वहां मेला भी लगता है जिसमे बहुत से लोगो का व्यपार भी चलता है।

दुर्गा पूजा मनाने की नियम।

इस त्योहार तो नौ दिनों तक मनाई जाती है। इस पूजा के दिनों के अनुसार स्थान अलग अलग होता हैं। माता दुर्गा के पूजा करने वाले भक्त पूरे नौ दिनों तक अनुने अन्य ग्रहण करते हैं। या कोई एक दिन का भी व्रत कर सकता है। वे देवी दुर्गा की मूर्ति को बहुत ही सभ्य तरीके से सोरहो सिंगर करते हैं। माता दुर्गा के भक्त अपने क्षमता के अनुसार प्रसाद,सिंगर के समान जैसे कुमकुम,लहठी,सिंदूर और ना जाने कितनी तरह के वस्तु माता दुर्गा को भेंट के रूप में चढ़ाते हैं।

देवी दुर्गा की आराधना के कारण सभी स्थान बहुत ही शुद्ध और सुंदर लगने लगता है। दुर्गा जी की आराधना से वातावरण में बहुत ही शुद्धि आ जाती है। ऐसा प्रतीत होने लगता है कि देवी दुर्गा वास्तव में आशीर्वाद देने अम्बर से धरती पर उतरी है।ऐसा माना जाता है कि माता की आराधना करने से जीवन मे आनंद,समृद्धि और मन मे शुद्धता आती है।वहीं अंधकार,गलत विचारों और बुरी शक्तियों का नाश होता है।

देवी दुर्गा की पाठ करने वाले लोग नवमी के दिन नौ कुमारी कन्याओं को सुबह की भोजन कराते हैं। और उन्हें दक्षिणा भी देते हैं।ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनकी भक्ति से माता प्रशन्न होंगी और उन्हें आशीर्वाद देंगी।


 



निष्कर्ष।

हिन्दुओ द्वारा मनाई जाने वाली हरेक त्योवहार में एक सामाजिक कारण जरूर होती है और कहीं ना कहीं आज के युग के अनुसार इसमे वैज्ञानिक कारण भी सम्मिलित होते हैं।जैसे हवन करना हिन्दू धर्म के सभी पूजा में एक परंपरा है इसकी वैज्ञानिक कारण है कि गया के गोबर से बने जलावन और चंदन के पेड़ की लकड़ी को जलाने से वातावरण में शुद्धता आती है। तो वही सनातनी लोग इसे अग्नि देवता की पूजा मानते हैं। इस प्रकार के उत्सव होने के कारण कई लोगो की जीविका भी चलती है जैसे जहां भी इस तरह की उत्सव का आयोजन किया जाता है लोग वहां बड़े ही भारी संख्या में इकट्ठा होते हैं और वहां पर बहुत से लोग कोई मिठाई की दुकान,कोई जलेबी की तो कोई खिलौना की तो कोई पूजा को और ना जाने कितने तरह के चीजे बेचने आते हैं और लोग उसे शौक से खरीदते हैं। तो इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ऐसे उत्सव से समाज के साथ देश का भी विकास होता है ।