श्री अमाई महालिंगा नायक जी का जीवन परिचय।

श्री अमाई महालिंगा नायक जी 



श्री  अमाई महालिन्गा नायक जी कर्नाटक  के रहने वाले थे । घर चलाने के लिए कभी मजदूरी  करते थे ।एक आदमी ने उनके मेहनत से खुश होकर 2 एकड़  जमीन का टुकडा दे दिया इनाम के तौर पर ।जो बंजर जमीन पहाड़ी इलाक़े में थी। जहाँ  फसल उगान मुसकिल था बिना सिचाई के। अमाई महालिन्गा जी के पास ऊँची पहाड़ी में सिचाई करने मे खर्च करने के लिए न तो पैसा था और नही कोई तकनीक का गायन । कैनाल बानाने का फैसला उन्होँने इसी काम के लिए लिया था ।सुरंग की खुदाई  के लिये बहुत से लोगों की जरुरत थी । परन्तु, महालिन्गा जी ने हार  नहीं  माने और सुरंग खोदना  शुरु कर दिए ।

सिचाई करने के लिए बंज़र ज़मीन पर सुरंग 



श्री अमाई  महलिंगा जी ने इस भरोसे पर अपनी कदम आगे बढाये की जब आधुनिक यन्त्र नहीं थी सिचाई के लिए तब भी सिचाई होती थी।

पारम्परिक  रूप से इस कठिन काम मे अपने कदम आगे बढ़ाए ।
इस राह मे बहुत मुसकिल थी। अपने  जमीन पर  सिचाई के लिए  सुरंग  खोदना शुरु कर दिए पहाड़ के पथरिये जमिन पर अमाई जी ने सुरंग  खोद्ना  शुरु कर दिए । बहुत ही लगन से एक के बाद एक कर के 4 साल मे 5 सुरंग खोद डाली फिर भी  खेत तक पानी नही पहुचा ।


पहारी जमिन पर सुरंग खोदने वाले मजदूर श्री अमाई  महलिंगा  जी के महान काम को देख सरकार ने  उन्हे पद्दमश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया।

इन्सान के लिए कोई भी काम असमव नहीं है  अगर होसला  मजबूत हो तो, श्री अमाई महलिंगा नायक जी,जो कर्नाटक के रहने वाले है  इस बात को साबित कर दिये हैं ।इन्होने अपना योगदान दें कर असम्भव कार्य को संभव  कर दिखाया है ।उन्होने कृषि के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है । मजदूर के रूप में काम करने वाले श्री अमाई महालिन्गा जी को लोग पागल तक कह देते थे।लेकिन आज लोग उनको पुरे दुनिया में कैनालमन के नाम से जानते हैं ।

उन्होने अकेले पहारी इलाक़े में एक या दो नहीं  बल्कि 7 सुरंग  खोदे  थे।जमीन पर पानी लाने के लिए नायक जी ने अकल्पनीय कार्य किया ।इसी महान काम को देख के भारत सरकार ने उन्हे   पद्दामश्री पुरुस्कार  से सम्मानित किया ।लेकीन ये राह महालिन्गा नायक जी के लिए आसान नही था ।

अमाई महालिन्गा नायक जी के प्रेरणा दायित्व जीवन की सफर:-
                              कर्नाटक के रहने वाले श्री अमाई महालिन्गा  नायक जी  घर चलाने के क लिए  मजदूरी भी करते थे ।जब महालिन्गा नायक जी सुरंग  की खुदाई कर रहे थे तब लोग उनको पागल व कहते थे लेकीन  अमाई जी को कोई फर्क नहीं पड़ता था ।वे सबकी बात अनसुना कर अपनी काम में लगे रहते थे ।नायक जी सुरंग की खुदाई मे लगे रहने की वजह से समय से घर भी नही पहुचते थे उनकी पत्नी हरान होकर लेने आ जाती थी । वे सुरंग खुदाई मे इतने मगन रहते थे कि  दिन से रात कब  कैसे हो जाती  थी पता ही नही  चलता था ।
                             जब उन्होंने 7वी सुरंग खोदना  सुरू  की तो उत्साह बढ़ने लगी ।और उन्हे पानी की नमी का अहसास  होने लगी इस तरह उन्हे कामयाबी हासिल हुई ।और खेतों में फसल उगाई ।श्री अमाई महालिन्गा जी के कामयाबी की कहानी जगह-जगह  गूंजने लगी ।जैसे-गाँव,शहर,कर्नाटक पूरे राज्य,देश एवं विदेशों तक प्रचार-प्रसार होने लगी ।अनपढ़ होते हुए भी इन्होंने  इतनी महान  काम करने मे इतनी  सफलता हासिल की। इन्के इस कार्य को देखने के लिय कई देश  के लोग इनके खेत पर पहुचे।

                                                            उन्होने अपनी मेहनत से बंजर भूमि पर 300 से अधिक सुपारी के पेड़,75 नारियल के पेड़ 150 काजू के पेड़,200 केले के पौधे,काली मिर्च एवं बेलो से उस बंजर भूमि को सुंदर से बाग बानी मे बदल दिया।


श्री अमाई महलिंगा नायक जी को कैनालमैंन के रूप अपनी  पहचान कैसे बनाई?

पहारी के पथारिये भूमि पर सुरंग खोद कर नई मिसाल कायम की उन्होने  सुरंग के जरिये अप्नी खेत तक पानी पहुचने में सफलता हासिल कर ,खेत मे फसल उगाई ।जिसकी सोहरत गाँव,शहर,देश तथा विदेश मे भी चर्चित  हो  ग्यी ।
आतह यही कारण है कि श्री अमाई महालिन्गा नायक जी को कैनाल मैंन के रूप मे पहचाना जाता है ।

पद्द्म्श्री से सम्मानित किया गया:-



इनके अकाल्प्नियए कार्य को देखते हुए  सभी जगहो पर बहुत सराहा गया। भारत सरकार ने श्री अमाई महलिंगा नायक जी को चौथे पद्द्म्श्री पुरुस्कार से सम्मानित किया ।लेकिन उनके अन्दर थोड़ा सा भी इस कामयाबी को लेकर अहंकार नही था ।उन्होने कभी कल्पना भी नहीं की थी को उनको इन्ते बडे सम्मान सरकार की तरफ से दी जायेगी ।

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