BIOGRAPHY OF RAJ GURU IN HINDI

शिवराम हरि राजगुरु जीवन परिचय 


शिवराम हरि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1907 को  महारास्ट्र के पुणे मे  हुआ था । पुणे के खेर नमक गांव मे हुआ था । वे ब्रहम  परिवार से थे ।जंग-ए-अजादी मे जाने की ललक  राजगुरु जी मे बचपन से ही थी। उनका परिवार साधरण व शांत  था। अंग्रेजों के जुल्म अपने आंखो के सामने होता देख होश संभालते ही लराई  मे उतर गए । भारत माता  को अंग्रेजों की गुलमी मे बांधने वाले एक पुलिस अधिकारी को मार डाला था । उसी जुर्म में राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फांसी  हो गई ।



राजगुरु  जी का बचपन:- 

                                      शिवराम हरि राजगुरु का जन्म पुणे के खेर नामक गांव मे हुआ।16 साल की उम्र  में राजगुरु  हिन्दूस्तान आर्मी में  भर्ती हो गए । आर्मी मे भर्ती  होने का  राजगुरु का मकसद  यह था कि विदेशी अधिकारी  पर अपना खौफ  जमाना ।वे घूम-घूम  कर  लोगो को आजादी   की लड़ाई  कर आज़ाद  होने के लिये  जागरुक  करते  थे।

राजगुरु जी को पुने जाते वक़्त  गिरफ़्तार  कर लिया:-

            इन्होंने अंग्रेज के एक पुलिस  अधिकारी के हत्या कर दिये  थे । पुलिस ऑफिसर  के हत्या के बाद इन्होने नागपुर  चले ग्ये । और वहां  जाकर  छुप गए । वहां  जाकर  राजगुरु  का भेंट  डॉक्टर  केबी हेडगेवार से हुई । जिनके  साथ  मिलकर  राजगुरु ने आगे का प्लान बनाया ।उन्होँने नागपुर मे एक आर एस एस कार्यकर्ता के मकान  मे ठहरे । डॉक्टर केबि हेडगेवार के साथ जो मिलमिलकर योजना  बनाई  ,उस योजना पर चलते  उससे पहले  ही पुने  जाते  समय इन्हे पुलिस अधिकारियो ने अपने  गिरफ़्त  मे कर लिया ।

शिवराम हरि राजगुरु जी का जिवन गाथा:-

                                                         
  शिवराम हरि राजगुरु जी के माता जी का नाम  पार्वती बाई  था ।तथा इनके पिता जी का नाम हरि नारायण था।और इनके बडे भाई का नाम दिनकर था।शिवराम हरि जी का जनम 24 अगस्त 1907 को हुआ था। इनके माता पिता  मराठी  थे ।जब शिवराम हरि राजगुरु जी का बाल्यावस्था था तभी इनके पिता जी का देहांत हो गया था। राजगुरु जी बचपन से ही बडे साहसी और हिम्मत वाले थे ।

शिवराम हरि जी की स्कूली पढाई:-


अपने गांव के ही एक मराठी स्कूल से राजगुरु जी का प्रारंभिक शिक्षा हूई थी।और अपना आगे की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाराणसी चले गये ।बचपन से ही राजगुरु को धर्म की अच्छी समझ हो गई थी । राजगुरु जी को संस्कृत  भाषा मे रुचि थी।इन्होने संस्कृत के शब्द को बहुत  कम समय मे याद कर लिया था ।  ऐसा कहा जाता है ।  वाराणसी  में जाकर इन्होने संस्कृत विषय की अधध्यं किया था।
 इस  तरह राजगुरु जी ने अपनी  पढाई पूर्ण की ।   

एक महान  भरतीय स्वतंत्रता सेनानी  शिवराम हरि 

 रजगुरु जी की सम्पर्क  कई क्रन्तिकारी से हुई वाराणसी  में अधध्यं  के दौरान ,जैसे चंद्रशेखर आजाद ।
चंद्रशेखर आजाद से प्रभावित होकर हिन्दूस्तान रिपब्लिकन आर्मी  मे जुर गए थे ।इनके कई  मित्र जैसे चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह और यतिन्दृनथ दास है ।
सैंडर्स का हत्या करने मे इन्होने भगत सिंह और  सुखदेव सिंह  का  पूरी  मदद किये थे ।

शिवराम हरि राजगुरु जी को फांसी:-

 इनके साथ कई और क्रन्तिकारीयो को फांसी की सजा सुनाई गई थी ।जैसे भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद और शिवराम हरि राजगुरु  थे ।
                      23 मार्च 1931को एक साथ ईन तीनों को सूली पर लटका दिया गया ।इनके साथ 21 अन्य  क्रन्तिकारीयो पर कानूनी कार्रवाई की गई थी ।

राजगुरु एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने दो साथियों शाहिद भगत सिंह और सुखदेव के सठब हँसते-हँसते फांसी पर लटक गई थे, इन्होंने देश के लिए कभी भी अपने परिवार के ओर बमुहँ फेर कर नही देखा और जन्म से ही देश के लिए जीने-मरने को कसम खा ली थी और वे कसम निभाने में पूरी तरह सफल भी रहे।

इन तीनों शहीदों के याद में हिंदुस्तान हर वर्ष 23 मार्च को इनके बलिदान दिवस के रूप में याद करते हैं और भारतीय उस दिन इनके बारे में बहुत ही बारीकी से पढ़ते हैं हर आदमी खुद को भगत, राजगुरु और सुखदेव जैसा बनाना चाहता है।

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