SUCCESS STORY OF MALAVATH PURNA JI IN HINDI

मालावथ पूर्णा।


आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे एक ऐसी पर्वतारोही जिन्होंने अपने हौसलों के दम पर आज यह कारनामा कर दिखाया है ,और उनके इस कारनामे के पीछे कितने लोगों का हाथ है और उन्होंने कैसे यहां तक खत्म करने में सफल रही है इसके बारे में इस लेख में हम जानेंगे तो आइए जानते हैं एक पर्वतारोही मानववाद पूर्णा के बारे में।


मालावथ पूर्ण की कहानी।


एक आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार का पहचाना  हुनर सुश्री मलावथ पूर्णा जी ,जब नवमी कक्षा में पहुंची तो उनके सपनों को पूरा करने के लिए एक दिन स्कूल में निरीक्षण करने आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार जी आए और निरीक्षण करने के दौरान उन्हें यह लड़की मिली। उन्होंने पूर्णा के हौसलों के देखा । जिसे देख हैरान हो गए। फिर उससे  प्रभावित होकर आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार जी ने उन्हें पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देने पर बल दिया ।उन्होंने जब इस बारे में पूर्णा के परिवार से बात की तो उन्हें यह काम अच्छा लगा। परंतु उन्हें समाज क्या कहेगा इस बात का डर था लेकिन पूर्णा अपने हौसलों से माता-पिता को भी मना लिया। उन्होंने अपने माता-पिता से कहा कि हमें तो कुछ ऐसा करना है जिससे दुनिया भी सलाम करें ।हम लड़की है तो, क्या हुआ हम वो कर सकते हैं जिसकी दुनिया कल्पना भी नहीं कर सकती है। अगर मैं एक बार सफल हो गई तो हमारे समाज की सोच बदल जाएगी इन सब बातों को सुन उनके माता-पिता मान गए। इसके बाद श्री प्रवीण कुमार जी ने अपनी देखरेख में पूर्ण को पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देना शुरू करवाया।

ऐसे किया एवेरेस्ट को फतह।


पर्वतारोहण का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सुश्री मलावथ पूर्णा  ने अपने गुरु परवीन के देखरेख में एवरेस्ट की चढ़ाई शुरुआत की पूर्णा ने मात्र 60 दिनों में ही एवरेस्ट के दुर्गम चोटी पर चढ़ने में सफल हो गयी ।  एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी कर ली एवरेस्ट फतह करने के समय पूर्णा केवल 13 साल की थी।

बचपन से ही संघर्ष किया।


10 जून 2000 को भारत के तेलंगना राज्य के निजामाबाद जिले के पकड़ गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे सुश्री मलावत पूर्णा जी के माता पिता का नाम लक्ष्मी और देवीदास है ।वह एक गरीब आदिवासी किसान है पूर्णा जी का परिवार बहुत मुश्किल से खेतों में मजदूरी करते हुए महीने के ₹3000 से भी कम में अपना चलाते थे।पूर्णा जी के माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे ताकि उनके बच्चे किसी लायक बन सके, इसलिए उन्होंने उनका दाखिला अपने गांव के पास के सरकारी स्कूल में करा दिया।

सुश्री मलावथ पूर्णा आज शुरू से ही पढ़ने में तेज थी वह बाकी लड़कियों से अलग हटकर कुछ नया करना चाहती थी।

आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार ने उनके हुनर को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ाने में अपना बड़ा योगदान दिया। सुश्री मलावथ पूर्णा जी जब नवमी कक्षा में पहुंची तो उनके सपनों को पूरा करने के लिए एक दिन स्कूल में निरीक्षण करने आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार गए उन्होंने पूर्णा के हौसलों को देखा जिसे देख हैरान हो गए । वे पूर्णा से प्रभावित होकर  आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार जी ने उन्हें पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देने पर बल दिया।

13 साल की उम्र में एवेरेस्ट फतह करने वाली लड़की।


मलावथ ने मात्र 13 साल की उम्र में ही माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली एक पहली महिला बन गई। सुश्री मलावत पूर्ण जी के जीवन को जाने के लिए और उनसे प्रेरणा लेने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ते रहे।

पूर्णा जी के गांव के लोग क्या सोचते थे?


अक्सर लोग यह सोच होती है कि लड़कियां कठिन काम नहीं कर सकती और पूर्णा जी के गांव के लोगों का भी यह सोच था। लेकिन उन्होंने यह कारनामा कर उन लोगों का भरम तोड़ दिया और बाकी लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित किया।

लड़कियों को हमेशा कमजोर समझा जाता है लेकिन एक ऐसी लड़की भी है जिसने मात्र 13 साल की उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई करके पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल पेश कर दी । यह लड़की और कोई नहीं सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली सुश्री मलावथ पूर्णा जी है ।जिन्होंने अपने हौसलों से यह साबित कर दिया है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं पूर्णा आज देश और दुनिया की सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की ऊंची चोटी छूने वाली पूर्णा पहली लड़की है शायद यही वजह है कि पूर्णा पर फिल्म बनाई गई है ।फिल्म 'पूर्णा' का निर्देशन अभिनेता राहुल बोस ने किया है। फिल्म में पूर्णा के संघर्ष और उनके सफलता की कहानी को दिखाया गया। आइए जानते हैं संघर्ष से अपने जीवन की प्रेरक कहानी लिखने वाली सुश्री मलावथ पूर्ण जी का प्रेरणादायक सफर।

कैसे किया एवेरेस्ट की चढ़ाई।


पर्वतारोहण का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सुश्री मलावथ पूर्णा  ने अपने गुरु प्रवीण जी  की देखरेख में एवरेस्ट की चढ़ाई की शुरुआत की। उन्होंने मात्र 60 दिनों में एवरेस्ट के दुर्गम सफर को तय कर के एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी कर ली। एवरेस्ट को फतह करने के समय पूर्णा केवल 13 साल की थी उन्होंने 25 मई 2014 को दुनिया के सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की। सुश्री मलावथ पूर्णा जी इसके साथ ही दुनिया की सबसे कम उम्र की माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली लड़की बन गई श्री मलावथ पूर्णा जी ने अपने इस चढ़ाई को पूरा किया था। चढ़ाई के दौरान बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन वह पीछे नहीं हटी लेकिन बीच रास्ते में मिलने वाले मानव के मृत शरीर को दी थी। इन सब बातों को परवाह किए बिना आगे बढ़ती चली जाती और आखिरकार ओ एक दिन एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचते ही अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया और इस समाज में लोगों के लिए एक मिसाल बन गई।

पदमश्री से सरकार ने सम्मानित किया।


एवरेस्ट फतह करने के बाद सुश्री मलावथ पूर्णा को भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई ईनामों से पुरस्कृत किया गया। यही नहीं सुश्री मायावथ जी को भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई ईनामों से पुरस्कृत किया गया यही नहीं सुश्री मलावथ पूर्णा जी के जीवन पर आधारित बॉलीवुड फिल्म "पूर्णा" का निर्माण किया गया, जिसमें राहुल बोस ने प्रवीण कुमार का किरदार निभाया है। सुश्री मलावथ पूर्णा आज महिलाओं के साथ सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं ।मलावथ पूर्णा और आगे बढ़ने के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखो लोगों को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।

तो एक ही एक ऐसी गरीब लड़की की कहानी थी जो हर कोई पढ़ना और उनके बारे में जानना पसंद करता है एक ऐसी कहानी है जिसमें समाज के सभी दवे लड़कियों को हौसला बुलंद करने में प्रेरणा देती है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहती है।

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